
जनसुनवाई पोर्टल व 1076 की जनसमस्याओं पर जांच अधिकारी लगा रहे गलत आख्या! रैकिन्ग मार्क बढाने के लिए कागजो मे हो रहे मामले निस्तारित, हकीकत कुछ और! फ़रियादी निराश! उरई(जालौन)- माननीय योगी सरकार ने जन समस्या निस्तारण के लिए जनसुनवाई पोर्टल व 1076 पर काल की पहल कर रखी है! प्रत्येक थाने और प्रत्येक कार्यालय में यह होर्डिंग भी लगी हुई है कि यदि आपकी समस्या का समाधान इस कार्यालय में नहीं होता है तो हमारे कार्यालय 1076 पर या जनसुनवाई पोर्टल के माध्यम से आप अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं! आपकी समस्या का निराकरण जल्द और अवश्य होगा! परंतु इस समय लोगों के बीच में जनसुनवाई पोर्टल का क्रेज गिरता जा रहा है! लोगों की समस्याओं का निस्तारण ही नहीं किया जा रहा है! अपनी रैकिंग बढ़ाने के चक्कर में जांच अधिकारियों द्वारा त्वरित गलत आख्या लगा कर मामले को निस्तारित किया जा रहा है! यदि इसी प्रकार अधिकारियों द्वारा जनता के प्रार्थना पत्रों पर कोई ठोस समाधान नहीं किया गया तो जनसुनवाई पोर्टल और माननीय योगी सरकार के 1076 पर लोगों का विश्वास घट जाएगा! विगत कुछ महीनों पूर्व में सड़क के किनारे गड्ढे भरने हेतु जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई गई, लोकनिर्माण विभाग-1 के अधिकारियों ने बिना जांच बिना भौतिक निरीक्षण किए अपनी आख्या लगाकर समस्या का समाधान कर दिया जबकि गड्ढा भरा ही नहीं गया! जब कुछ दिनों बाद जब पुनः शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत की गई तो लोक निर्माण विभाग एक के अधिकारी ने कहा कि यह हमारे क्षेत्र में नहीं आता तब यह शिकायत लोक निर्माण विभाग 3 को भेजी गई! पहले तो शिकायतकर्ता पर अधिकारियों द्वारा दवाब बनाने का प्रयास किया गया जब शिकायतकर्ता ने दबाब नहीं माना और स्पष्ट कर दिया, तब कहीं समस्या का कई महीनों बाद समाधान हुआ जबकि शिकायत का निस्तारण पहले ही कर दिया गया था! शिकायतकर्ता इस बात से परेशान था कि जब लोक निर्माण विभाग एक के दायरे में यह नहीं आता था तो पहले लोक निर्माण विभाग-1 के अधिकारियों ने गलत आख्या क्यों दी! पुलिस विभाग के मामलों में प्रायः देखा जाता है कि यदि शिकायतकर्ता एक थाने का है व द्वितीय पक्ष दूसरे थाने का है तो द्वितीय पक्ष जिस थाने का निवासी है शिकायत उसी थाने में पहुंचती है तो जांच अधिकारियों द्वारा ऐसे मामलों में कोई रुचि नहीं दिखाई जाती बल्कि यह लिख दिया जाता है कि पीड़ित पक्ष उस थाना का है और यह मामला उसी थाना में देखा जाए विस्तृत जांच उसी थाने से कराई जाए! जबकि जिसके खिलाफ शिकायत हुई हो वह जब उसी थाने का निवासी है तो जांच अधिकारी द्वारा संज्ञान लेकर शिकायतकर्ता व द्वितीय पक्ष को बुलाकर मामला निपटाया जा सकता है! परंतु अधिकांश मामलों में देखा जा रहा है कि यदि शिकायतकर्ता उस थाने का नहीं है तो जांच अधिकारी द्वारा यह रिपोर्ट लगा दी जाती है कि श्रीमान जी शिकायतकर्ता उस थाना का है उस थाने से ही जांच कराई जाए और शिकायतकर्ता जिस थाने का होता है वहाँ उससे यह कहा जाता है कि द्वितीय पक्ष इस थाना क्षेत्र का निवासी नही है आप उस थाने मे प्रार्थना पत्र दे जहाँ का वह निवासी है तो आप का मामला जल्द् निस्तारित होगा! जिससे होता यह है कि शिकायतकर्ता ऑफिस ऑफिस या थाने थाने खेलता रहता है और मामला नहीं निपटता अंत में थक हार कर बैठ जाता है! इसी प्रकार एक व्यक्ति अपनी मेहनत के रुपयो के लिए कई वर्ष से चक्कर काट रहा है और द्वितीय पक्ष उसके रुपये नहीं दे रहा है उल्टा धमकी और दे रहा है, थक हार कर शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत दर्ज कराई गई जिस पर जांच अधिकारी द्वारा न तो शिकायतकर्ता से संपर्क किया गया और ना ही उसके सबूतों को देखा गया ना ही उसकी बात सुनी गई बल्कि द्वितीय पक्ष से वार्ता कर उसी को सही मानकर गलत आख्या लगा कर मामले को निक्षेपित कर दिया गया! जब जांच अधिकारी शिकायत कर्ता की बात नहीं सुनते और दूसरे पक्ष की ही तरफदारी दबाव या जेब गर्म हो जाने पर कर देते हैं तो दूसरे पक्ष के हौसले बुलंद हो जाते हैं और वह शिकायतकर्ता प्रथम पक्ष पर और अधिक दबाव बनाता है या उसे अपनी शान दिखाता है, जिससे या तो शिकायतकर्ता को दबा दिया जाता है या फ़िर लडाई झगडा की स्थिति बन जाती हैं! जांच अधिकारी द्वारा समस्या निस्तारण मे सक्रियता नहीं दिखाई जाती है और शिकायतों का सही समाधान न होने के कारण लोगों के बीच जनसुनवाई पोर्टल से भरोसा गिरता जा रहा है अधिकारी अपनी रैकिंग बढ़ाने के लिए शीघ्र गलत आख्या देकर सिर्फ़ कागजो मे मामले को निपटा रहे हैं जबकि वास्तविकता कुछ और है! उच्च अधिकारियों को इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए और माननीय योगी सरकार के निर्देशों के अनुसार जन समस्याओं के सही निस्तारण कराने चाहिए! जिसकी शिकायत जहां जाए वह दोनों पक्षों को बुलाकर इस मामले को निपटा सकता है परंतु अधिकारियों को ऐसा करते हुए नहीं देखा जा रहा है! कई मामलों में ऐसा हो रहा है कि शिकायतकर्ता प्रार्थना पत्र में विन्दु स्पष्ट खोल देता है फिर भी जांच अधिकारी द्वारा उसी बिंदु को दिखा दिया जाता है और मामले मे गलत आख्या लगा दी जाती है!इससे सिद्ध होता है कि अधिकारी सिर्फ अपने कार्यालय में बैठकर आख्या लगा रहे हैं और उन्हें जनता की समस्याओं से कोई वास्ता नहीं है! एक शिकायत कर्ता के साथ एसा ही हुआ है और अब उसने माननीय योगी जी व उच्चाधिकारी को प्रार्थना पत्र भेजकर न्याय की गुहार लगाई है!